Amaravathi ki kathayen growingup EPI # 10
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Published 2017-03-22
All Comments (21)
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बिना किसी अश्लीलता के ऐसा सुन्दर प्रेम-कथा चित्रण... यही हमारे देश का वास्तविक चित्रण है|बिना किसी दृश्य के एक संवाद में भी कितनी जीवंतता होती है... "मैं बड़ी हो गयी " अति सुन्दर...
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मैं आजकल के टीवी सिरियल नही देखती हूँ।मगर पुराने जमाने के सिरियल हजार बार देखने के बाद भी मन नहीं भरता है।
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क्या दिन थे वो सरल,सुखमय, स्वच्छ तालाब, नदिया चारो तरफ़ एकदम शांति .. आज के जैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे की जरूरत भी नहीं था और लोगो का व्यवहार भी कितना अच्छा था आज के जैसा स्वार्थी नहीं
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पैसा नही था पर जीवन कितना सरल था। उतने ही सुंदर लोग।
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Acting is so pure and real I came here after malgudi days...
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जब भी दुनिया की उलझन से मन भारी हो जाता है तो एक बार ऐसे ही नाटकों को देख लेता हूं मन हल्का हो जाता है
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इसमे बच्चे का हाफ शर्ट देखकर बचपन याद आ गया जब पैसों की तंगी के वजह से हम लोग भी हाफ बाजू की शर्ट सिलाया करते थे क्योंकि उसमे कपड़े कम लगते थे.. लेकिन फिर भी क्या खूश हाल दिन थे वो 😢💖
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कितनी नजाकत से कहानी को चित्रित किया गया है, गांव के सादे आदमी का मानवतापूर्ण व्यवहार और किशोरी से युवती होने का रोमांच और इशारा ' मैं बडी हो गई ' बहुत बढिया.
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इस तरह के सरल और सभ्य सिरियल बड़े अच्छे लगते है क्योंकि इनमें हमें आम जिंदगी को समझने और अनुभव करने का मौका मिलता है,
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उस वक्त नदीया कितनी साफ और सुन्दर हुआ करती थी । अब साफ और सुन्दर तो दूर, नदियों का अस्तित्व ही संकट में है । शाम बेनेगलजी का हम कितना भी आभार कह ले, उनकी ये देन उसकी अनमोल है।
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आज कल के serials में सिर्फ पैसा fashion glamour good looking good persnality और सिर्फ body building पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है लेकिन इनमें वो feeling नही जो उन serial के कलाकारों मे होती थी कैसे दर्शकों को अपनी acting और दुनिया में समेट लेते थे that was incredible
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This is entertainment in purest form. I love this innocent depiction of rural life. Wish this series would return.
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Can you imagine and comprehend the simplicity of those times. Like, drinking water straight from Krishna river. Like, friendship of boy and girl. Excellent.
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मुझे समझ नहीं आता कि कुछ लोगों को यह श्रृंखला क्यों पसंद नहीं है जो बहुत दिलचस्प है।
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Mujhe bahut acha laga puran din yaad agaye bahut maza aya
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मुझे बहुत पसंद आती है कथाये है बहुत ही प्यारी है🤗🤗🤗💖💖💖💖 बिल्कुल भी दिखावा नही है
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What a golden era it was......natural acting, simple peoples.......reminds me my childhood days......koi lautade mere bachpan k din......really miss those days☹️☹️☹️☹️☹️☹️☹️☹️☹️☹️😩😩😩😩😩😩😩😩😩😩🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺
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उस समय शान्ति और खुशहाल जीवन था और एक प्यार भरा गांव 💞💞
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गाँव मे किसान, दर्जी, नाइ, बनिया, मास्टरजी, दाई बस चल गया काम । स्वछ हवा एवम शान्त चित । /\ छोटी छोटी दुकाने छोटी छोटी जरुरते ।
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ये घर देख रहे हो?? पहले लगभग हर शहर और गाव का ऐसा ही view होता था .. बचपन याद आ गया वो सुकून याद आ गया 😔😔