Papa Ji | Telefilm
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Published 2022-06-25
कहानी- ओम प्रकाश मिश्रा
पटकथा एवं संवाद- अनिल गुप्ता
निर्माता- संजीव कोठियाला
निर्देशक- नागेन्द्र
माता-पिता अपनी पूरी ज़िन्दगी की कमाई अपने बच्चों के भविष्य के सुनहरे सपनों को पूरा करने के लिए लगा देते हैं | अपने बुढ़ापे की परवाह किये बिना वे अपने बच्चों के सपनों को पूरा करते हैं| लेकिन वही बच्चे जब अपने बूढ़े माँ-बाप को घर का बोझ समझने लगे तो रिश्तों के साथ-साथ भावनाओं की भी आहूति दे दी जाती है | एक बूढ़े पिता का ठंढ़ के दिनों में घर के बरामदे में सोना, सुबह सिर्फ एक कप चाय बहू को बनाकर देने के लिए कहना, डाइंग रुम में बेटे-बहू और पोते के साथ बैठकर टीवी देखना क्या ये उनका हक नहीं है...बुढ़ापे की छड़ी माँ-बाप के लिए उनके बच्चे ही होते हैं | ओम प्रकाश मिश्रा की कहानी ऐसे ही एक बूढ़े पिता के आंसू और कपकपाती ज़ुबान से निकले दर्द को बयां करती है |
#father #family #society #relation #entertainment
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All Comments (21)
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अंत में ही सही अच्छा हुआ,,, भगवान करे सबके साथ अच्छा हो
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पापाजी अच्छे नसीब वाले हैं जो उनके बच्चे समझ गए और सुधार कर लिया । कुछ पापा ऐसे भी हैं जिनके बच्चे सुधरे ही नहीं । बिगड़े हुए समाज का अच्छा चित्रण है ।
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एक समय ऐसा आता है जब व्यक्ति सबको बोझ लगने लगता है. लेकिन वह इतना विवश होता है कि सबकुछ सहन करना पड़ता है, कुछ कह नहीं सकता. उस के बच्चे उसे मूर्ख समझते हैं. उसे किसी मामले में बोलने तक नहीं दिया जाता. यदि उसका कोई हमउम्र या दोस्त ना हो तो अपना दुख किसी से कह भी नहीं सकता और घुट-घुट कर मृत्यु का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं रहता. शारीर के सभी अंग बेकार हो जाते हैं . इसलिए पूरी तरह सन्तान पर ही आश्रित हो जाता है और जैसे वह रखते हैं वैसे रहकर जीवन का शेष समय बिताना पड़ता है.
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समाज को एक सुन्दर संदेश देती telefilm🙏
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फिल्म तो मैंने बहुत देखा है पर इस तरह का हृदय स्पर्शी फिल्म पहली बार देखा है
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कितना मार्मिक अभिनय और कथा, बुढापा सब पर आता है,उमर का आदर करना चाहिए, इंसानियत बड़ी चीज है अपने कर्मो का सबको इसी जन्म में मिल जाता है❤❤❤
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प्रेरणास्पद फिल्म का सुखद अंत भा गया।
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बहुत ही अच्छी कहानी है देखकर मुझे भी रोना आ गया है ❤❤❤❤❤🙏 सभी का घरपरिवार सुखी रहे 🙏
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बहुत सुंदर और आजकल के हर बुजुर्गो की हकीकत है।।मन को छू लिया 😊
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🇮🇳🍁💐🌹♥️🥰🙏दूरदर्शन का समय सदाबहार था एक टीवी एक चैनल एक परिवार ।🙏🌹💐🍁🇮🇳
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यह आज के समाज की सत्यता है आज की पीढ़ी अपने पति पत्नी बच्चे तक में ही सीमित रह गई है बुजुर्गो को बोझ समझने लगी है यह आज का यथार्थ है दिल को छू लिया यह telefilm बहुत बहुत धन्यवाद सभी पात्रों को एक नया संदेश समाज में देने के लिए बहुत बहुत आभार 🎉✅💯💐💐
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Awesome Doordarshan plays are very good with moral values. No obscene or vulgarity. Thanks
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Bhut hi sundar h telefilm .bhut jyaada achhi or shikshapradd👍
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हम पढ़कर डिग्री वाले तो बन गए मगर इंसान न बन सके ,
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Jai Mata Di.Bahut chhoti soch hai inki.Budhapa sabhi ke zindagi ka abhin pal hai atah aadar samman ke sath buzurgon ke sath vyavhar karna chahiye,aisa karne se unka bharpur aashirwad aur prem milega,Hardik dhanyavad aur shubhkamnaye.🙏🙏👍🙏
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बहुत ही ऐमोशनल कहानी
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Dil ko andr tk hila diya is film ne..aapka chenl pr bahut gyanvrdhk khaniya h.suprbh 👌👌👌👌👌
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दिल छू लेने वाले मार्मिक पल, सुंदर प्रेस्तुति
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Bahut Sunder Kahani Sach Me Aaj Kal Aise He Hota Hai 👌👌👍👍🙏🏻
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वाह अंत में आंसू आ गये। बहुत ही सफल कहानी।